लेखनी कहानी -19-Jul-2022..... मानसून स्पेशल...बरसातकी रात..
बरसात की रात.. (9)
बारिश को देखकर रुही कहाँ किसी की सुनने वाली थीं..। उसने दराज़ से पैसे लिए ओर निकल गई मेडिकल स्टोर पर दवाई लेने...। बाहर वो तीनों इसी मौके की तलाश में घात लगाए बैठे थें...। रुही गली के नुक्कड़ तक आई ओर दवाई ली...। इतनी देर में बारिश बहुत तेज़ हो चुकी थीं ....। रुही तेज़ कदमों से घर की ओर चलने लगी...।रुही जैसे ही उन तीनों की गाड़ी के नजदीक आई तो उन्होंने अचानक से दरवाजा खोला...। रूही टकराने ही वाली थीं की संभल गई...।
रुही :- ये क्या बदतमीजी हैं... सडक से गुजरने वाले दिखाई नहीं देते क्या...।
जय:- अरे.... हम हैं... गर्म क्यूँ हो रहीं हैं... ।
ओहह... तुम...। यहाँ कैसे...!
अरे वो तेरे पापा के बारे में सुना तो सोचा पुछकर आते हैं..।
तुम्हारा दिमाग खराब हो गया हैं क्या...!! तुम जानते हो पापा का स्वभाव कैसा हैं..।
तभी आगे की तरफ़ बैठा विकास बोला... जिसपर रुही की नजर अभी नहीं गई थीं..। उसने पीछे बैठे हुए सिर्फ जय और विजय को ही देखा था..।
विकास :- दिमाग हमारा नहीं तेरे बाप का खराब हो गया हैं...। गलत इंसान से पंगा ले बैठा हैं..।
रुही चंद कदम आगे बढ़कर विकास की तरफ़ गई :- विकी.... तुम ही हो ना पापा की ये हालत करने वाले...। दिल तो करता हैं... एक थप्पड़ रसीद कर दूं....।
रुही तुम पूरी भीग चुकी हो... अंदर आकर बात कर लो...।
तुम्हें मेरी फिक्र करने की जरूरत नहीं हैं जय...। अपने दोस्त को थोड़ा कंट्रोल मे रखो...। इस बार तो सिर्फ बोल रहीं हूँ अगली बार मेरे पापा की तरफ उंगली भी उठाई ना तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा समझे...।
रुही ऐसा कहते हुवे अपने घर की ओर चल दी...।
रुही ने दवाई अपनी माँ को दी ओर खुद कपड़े बदलने चलीं गई...।
जय :- अरे यार विकी इशारा क्यूँ नहीं दिया तुने...। इतना अच्छा मौका था यार...।
विजय :- हाँ यार तीन घंटों से यहाँ खड़ा करके रखा हैं... ओर मौका आया तो इशारा भी नहीं दिया... आखिर तेरे दिमाग में चल क्या रहा हैं...।
विकास :- बारिश.... वाह.... क्या खुबसूरत लगतीं हैं बारिश में भिगकर..... सच में गजब ढा रहीं थीं यारों...। मैं तो बस उसे देखता ही रह गया.....।
जय :- अरे तेरे इस देखने के चक्कर में मौका तो हाथ से निकल गया ना...।
विकास ने अपनी कार स्टार्ट की ओर वहाँ से जाने लगा :- मौका फिर से मिल जाएगा दोस्तों...। तुम वो मंदिर जाने का प्रोग्राम बना रहें थे ना...। उसे वहाँ बुलाओ....।
लेकिन उसने तो मना कर दिया हैं यार...उसका खड़ुस बाप आने नहीं देगा उसे....।
उसकी माँ को मनाओ.... अर्चना को भेजो उसके घर.... कैसे भी करके उसे बुलाओ... मुंह मांगी कीमत दूंगा तुम दोनों को....।
अगर ऐसा हैं तो समझो काम हो गया...।
जय ने अर्चना को अपने प्यार का वास्ता देकर राजी किया और अर्चना ने अपनी दोस्ती का वास्ता देकर रुही को राजी किया...। सभी ने महादेव के मंदिर में जाने का दिन तय किया...। लेकिन रुही इस बात से अंजान थीं की विकास भी वहाँ आ रहा हैं...। दो दिन बाद सभी जाने के लिए तैयार हुवे...।
कान्ता :- देख बेटा.... तेरे बाऊजी को इस बारे में कुछ नहीं पता हैं...। इसलिए समय पर घर आ जाना...। वरना तु भी जानती हैं वो मेरा क्या हाल करेंगे...।
रुही :- हाँ.. डियर जानती हूँ.... इसलिए तो मैं जा ही नहीं रहीं थीं पर ये अर्चना तो पीछे ही पर गई हैं...। आपको हामी देनी ही नहीं थीं.. ।
अरे वो जिद्द पर अड़ गई थीं.... मैं भी क्या करतीं...। चल कोई बात नहीं बस तु समय पर वापस आ जाना...।
ठीक है माय लव....अभी चलतीं हूँ.... आप भी ध्यान रखना अपना और पापा का भी...। बाय...।
रुही तय समय पर पहले से तय की हुई जगह पर पहुँच गई...। उस जगह पर एक कार खड़ी थीं जिसमें जय और अर्चना पहले से बैठे थे..।
जय:- रुही आ गई तुम.... चलो आओ... बैठो...।
लेकिन बैठूं कहाँ...?
अरे यार आगे बैठ जाओ ड्राइवर के साथ.... समझों यार....।
ओके... ठीक हैं...। पर विजय कहाँ हैं...!
वो दुसरी कार में हैं....।
ओके....।
रुही उन तीनों के साथ मंदिर की ओर रवाना हो गई....।
पीछे दुसरी कार में विजय... कोमल और विकास....... थे...।
करीब डेढ़ घंटे के बाद वो सभी मंदिर पहुंचे...। रुही दुसरी कार में आए विकास को देखकर थोड़ा गुस्सा हुई पर फिर विकास के माफी मांगने पर वो मान गई और सभी साथ में मंदिर में दर्शन करने चले गए....। दो घंटे तक वो मंदिर में घुमते रहे.... फोटो खिचवाते .... मस्ती करते रहें...। फिर रुही ने वापस चलने को कहा..।
रुही... :- सुनो हमें अभी निकलना चाहिए समय भी बहुत हो गया हैं ओर बादल भी घिर आए हैं...।
विकास :- हां.... चल रहें हैं.... बस वो थोड़ी दूर मेरे चाचा का फार्म हाउस हैं... वहाँ से मुझे कुछ पार्सल लेना हैं तो... कुछ देर वहाँ चलकर खा पी लेते हैं....। फिर निकलते हैं....।
जय :- हां यार ये सही रहेगा.... भूख भी बहुत लगी हैं..।
ठीक हैं.... लेकिन थोड़ा जल्दी करना...। बारिश होने से पहले घर पहुँच जाए....।
ऐसा कहकर वो सभी वहाँ से निकलने के लिए अपनी अपनी कार में बैठे...। कुछ दूरी पर चलते ही बारिश शुरू है गई....।
ओहह नो....। बारिश शुरू हो गई....।
तु बारिश को देखकर कबसे घबराने लगी रुही.... तुझे तो बारिश पसंद है ना...!
हाँ पसंद हैं अर्चना पर अभी घर से दूर हैं ओर हम दूसरे कपड़े भी तो नहीं लाए हैं ना...।
अरे टेंशन मत करो.... हम बस पहुंचने ही वाले हैं...।
तुझे कैसे पता जय.... तु यहाँ पहले आया हुआ है क्या....!
अरे हाँ मैं आ चुका हूँ यहाँ.... विकास के साथ...।
कुछ मिनटों में ही सभी एक बड़े से फार्म हाऊस के बाहर पहुंचे...। लेकिन वहा ताला लगा हुआ था...। हालांकि वो फार्म हाउस विकास का ही था...। उसने पहले से ही सब प्लान बना कर रखा था...। जय और विजय भी इस प्लान में शामिल थें...।
रुही की जिंदगी का किस्सा जानते हैं अगले भाग में...।
Milind salve
10-Aug-2022 12:14 AM
बेहतरीन भाग
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